डॉ सुशील भाटी
गुर्जरों का एक
सैनिक चरित्र रहा हैं आधुनिक भारत में इसे राज्य और समाज ने भी कई मायनो में
स्वीकार किया हैं| इस सन्दर्भ में 1891 की भारतीय जनगणना तथा ब्रिटिश भारत काल में प्रचलित ‘यौद्धा जाति
सिद्धांत’ ‘मार्शल रेस थ्योरी’ काफी महतवपूर्ण हैं|
i
1891 भारतीय जनगणना
खास बात यह थी की इसमें व्यवसाय के आधार जनसख्या की गिनती की गई थी | 1891 की
भारतीय जनगणना के उच्च आयुक्त ए. एच. बैंस ने भारतीय जनसख्या को कृषक, पशुपालक, पेशेवर,
व्यापारी, कारीगर, घुमंतू आदि 21 वर्गों में विभाजित किया हैं| इसमें प्रथम कृषक
वर्ग (Agricultural Class) को पुनः तीन भाग में विभाजित किया गया हैं- 1. सैनिक
एवं प्रभू जाति (Military and Dominant)
2. अन्य कृषक (Other Cultivators) 3. खेत मजदूर (Field Labourers). ए. एच. बैंस
लिखते हैं कि जनसख्या का 30% भाग कृषक वर्ग के अंतर्गत आता हैं, जिसके प्रथम सैनिक
भाग में वो जातियां और कबीले आते हैं जो इतिहास के विभिन्न कालो में अपने
प्रान्तों में शासन किया हैं|1891 की भारतीय जनगणना में सैनिक एवं प्रभू जातियां जनसख्या का लगभग 10 %
थी|
1891 की भारतीय
जनगणना की जनरल रिपोर्ट के अनुसार भारत में चौदह सैनिक जातियां और कबीले हैं|
1.
राजपूत (Rajput)
2.
जाट
(Jat) )
3.
गूजर
(Gujar)
4.
मराठा
(Maratha)
5.
बब्बन
(Babban)
6.
नायर
(Nair)
7.
कल्ला
(Kalla)
8.
मारवा (Marwa)
9.
वेल्लमा
(Vellama)
10.
खंडैत (khandait)
11.
अवान (Awan)
12.
काठी (Kathi)
13.
मेव (Meo)
14.
कोडगु
(Kodagu)
इस प्रकार हम देखते
हैं कि 1891 की भारतीय जनगणना में गूजर जाति को भारत की मात्र चौदह सैनिक जातियों
में तीसरे क्रम पर अंकित किया गया हैं| गूजर एक उत्तरी कबीला हैं सतपुड़ा और उत्तरी
दक्कन के बहुत से पुराने किले इस नृवंश के शासको से सम्बंधित हैं| इस सम्बन्ध में
1891 की भारतीय जनगणना के उच्च आयुक्त ए. एच. बैंस लिखते हैं कि “ The Gujar is another northern tribe,
but more like Rajputs than Jats; it is composed of varied elements. In the
Panjab it is mainly agricultural, though it tends toward cattle grazing in
southern planes. Elsewhere in India the title implies the latter occupation.
Going further south, we meet the division of Bombay Presidency, to which it
gives its name ........……It is undoubtedly a relic of one of
the later Skythian waves which flooded the upper and western India, and many of
the Satpura and north Deccan old forts and caves are attributed to the rulers
of this race.”
ii
उन्नीसवी शताब्दी के
अंतिम तथा बीसवी शताब्दी के आरभिक दशको में भारतीय सेना के उच्च अधिकारियो का एक
वर्ग यह मानता था कि भारत में कुछ जातियां और कबीले अन्यो से अधिक लडाकू योद्धा
हैं तथा वो इन्हें ही सेना में भर्ती करने के समर्थक थे| भारतीय सेना के प्रमुख
कमांडर फ़ील्ड मार्शल रोबर्ट्स (1885- 1893 ई.) तथा लार्ड किचेनेर (Lord Kitchener)
(1902- 1909 ई.) सेना के भर्ती मामलो में इसी योद्धा जाति सिधांत ‘मार्शल रेस थ्योरी’ के समर्थक थे अतः इनके
कार्यकाल में लडाकू योद्धा जातियों की खोजबीन की गई|
इसी क्रम में मेजर
ए. एच. बिंगले ने भारत सरकार के आदेश पर जाट और गूजर जातियों का सर्वेक्षण किया और
1899 में “हिस्ट्री, कास्ट्स एंड कल्चर ऑफ़ जाट्स एंड गूजर्स” नामक एक पुस्तक लिखी
जिसमे उसने जाट और और गूजरों के भोगोलिक वितरण, धर्म, रीति-रिवाज़, इतिहास और उनके
सैनिक चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उसने इन्हें बहादुर और श्रेष्ठ सैनिक बताया हैं|
भारत सरकार द्वारा मेजर ए. एच. बिंगले से इस पुस्तक को लिखवाने का उद्देश्य जाटो
और गूजरों की भर्ती से सम्बंधित सैन्य अधिकारियो के लिए हस्तपुस्तक (Handbook)
उपलब्ध कराना था, जिसके आधार पर इन जातियों से सम्बंधित उच्च कोटि
के सैनिक भर्ती किये जा सके| इस पुस्तक के
आधार पर ब्रिटिश भारत में जाट और गूजरों को सेना में भर्ती किया गया| मेजर ए. एच.
बिंगले ने अपने इस अध्ययन का दायरा बढ़ाते हुए अहीरों को भी इसमें सम्मिलित किया
तथा 1904 में “कास्ट हैंडबुक्स फॉर दी इंडियन आर्मी : जाट्स, गूजर्स एंड अहीर्स”
पुस्तक लिखी| इसी क्रम में बी. एल. कोले ( B L Cole) ने 1924 में “हैंडबुक्स फॉर
दी इंडियन आर्मी : राजपूताना क्लासेज लिखी| इसी प्रकार आर. सी. क्रिस्टी (R C
Christie) ने 1937 में हैंडबुक्स फॉर दी इंडियन आर्मी : जाट्स, गूजर्स एंड अहीर्स”
पुस्तक का संपादन किया| भारत सरकार के आदेश पर सैन्य अधिकारियो ने इसी प्रकार की
हैंडबुक्स राजपूत, डोगरा, मराठा, गोरखा आदि जातियों पर भी लिखी थी|
आज़ादी से पहले गूजर
मुख्य रूप से पंजाब रेजिमेंट, राजपूताना राइफल्स तथा ग्रेनेडियर रेजिमेंट में
भर्ती किये जाते थे|
1857 की जनक्रांति
में गूजर, रांघड, बंजारा, लोध समुदायों ने आदि बड़े पैमाने पर ब्रिटिश साम्राज्यवाद
के खिलाफ संघर्ष किया था| ब्रिटिशराज के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाले इन समुदायों को
भी अपराधी जाति अधिनियम, 1871 में निरुद्ध किया गया तथा उनकी अपराधिक छवि प्रस्तुत
की गई| ब्रिटिश काल में, इसका विपरीत प्रभाव गूजरों की सैन्य भर्ती पर भी पड़ा|
III
वर्तमान काल में
गूजर मुख्य रूप से राजपूत रेजिमेंट में भर्ती किये जाते हैं| 1947 में राजपूत
रेजिमेंट में राजपूत और मुस्लिमो का अनुपात पचास-पचास प्रतिशत था| किन्तु आज़ादी के
समय राजपूत रेजिमेंट के 50% मुस्लिम सैनिक पाकिस्तानी सेना में चले गए| इनका स्थान
तब पंजाब रेजिमेंट के गूजरो ने ले लिया| इन नव आगुन्तको में विक्टोरिया क्रॉस
विजेता हवालदार कमल राम भी थे| वर्तमान में राजपूत रेजिमेंट में राजपूत सैनिक 51
प्रतिशत हैं| संख्या बल की दृष्टी से फिर गूजर सैनिक हैं| राजपूत रेजिमेंट की
अधिकांश बटालियनो में राजपूत और गूजर बराबर अनुपात में हैं| कुछ बटालियनो में
ब्राह्मण, बंगाली, मुस्लिम आदि भी हैं|
राजपूत रेजिमेंट के
अतरिक्त गूजर राजपूताना राइफल्स, जाट रेजिमेंट तथा ग्रेनेडियर रेजिमेंट में भी
भर्ती किये जाते हैं| राजपूताना राइफल्स में राजपूताना क्षेत्र (वर्तमान राजस्थान)
क्षेत्र से सैनिक भर्ती किये जाते हैं| राजपूताना राइफल्स में राजपूत, जाट, गूजर,
अहीर और मुस्लिम बहुसख्या में हैं| जाट रेजिमेंट में भी सीमित सख्या में गूजर
सैनिक हैं| ग्रेनेडियर रेजिमेंट में राजपूत, जाट, गूजर, अहीर, मीणा आदि हैं|
आज के चकाचौंध भरे
युग में भी, दूर-दराज़ के ग्रामीण और पहाड़ी अंचलो में बसने वाले कृषक, कई क्षेत्रो
में अर्धघुमंतू पशुपालक गूजर समुदाय के
नौज़वान के अन्दर सैनिक बन देश की सेवा करने की की चाह आज भी बरकरार हैं|
सन्दर्भ-
1 ए. एच. बैंस, 1891
की भारतीय जनगणना (जनरल रिपोर्ट), लन्दन, 1893, पृष्ठ 182-208
2. सर जॉर्ज मैकमुन्न (Sir George Macmunn), दी
मार्शल रेसिज ऑफ़ इंडिया, लन्दन,
3. विद्या प्रकाश त्यागी, मार्शल रेसिज
ऑफ़ अनडिवाइडेड इंडिया, 2009
4. मेजर ए. एच.
बिंगले, हिस्ट्री कास्ट्स एंड कल्चर ऑफ़ जाट्स एंड गूजर्स, 1899,
5. मेजर ए. एच. बिंगले,
कास्ट हैंडबुक्स फॉर दी इंडियन आर्मी : जाट्स, गूजर्स एंड अहीर्स, कलकत्ता, 1904
6. बी. एल. कोले ( B
L Cole), “हैंडबुक्स फॉर दी इंडियन आर्मी : राजपूताना क्लासेज, जाट्स, गूजर्स एंड
अहीर्स”, शिमला : गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया, 1924
7. आर. सी. क्रिस्टी
(R C Christie), हैंडबुक्स फॉर दी इंडियन आर्मी : जाट्स, गूजर्स एंड अहीर्स,
कलकत्ता: गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया, 1937
8. गौतम शर्मा,
वैलौर एंड सैक्रिफाइस: फेमस रेजिमेंट्स ऑफ़ दी इंडियन आर्मी, नई दिल्ली, 1989,
पृष्ठ 137-138 https://books.google.co.in/books?isbn=817023140X
9. पी. डी.
बोनर्जी, ए हैंडबुक ऑफ़ दी फाइटिंग रेसिज
ऑफ़ इंडिया, कलकत्ता, 1899