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Thursday, June 22, 2023

राणा अलीहसन चौहान की वंशावली

डॉ. सुशील भाटी

राणा अलीहसन चौहान का जन्म 13 नवम्बर 1922 को कैराना क्षेत्र के मल्हीपुर गाँव में एक मुस्लिम गुर्जर परिवार में हुआ था| राणा अलीहसन चौहान पेशे से इंजीनियर थे, जोकि आज़ादी के बाद पकिस्तान स्थित गूजरांवाला के गाँव कोटशेरा में बस गए| राणा अलीहसन चौहान ने इतिहासकार के रूप में विशेष ख्याति पाई| 1960 में राणा अलीहसन चौहान ने उर्दू भाषा में तारीख़-ए-गुर्जर नामक पुस्तक में गुर्जर जाति का इतिहास लिखा, जिसके पांच खण्ड थे| 1998 में अंग्रेजी भाषा में “ए शोर्ट हिस्ट्री ऑफ़ गुर्जर्स” नामक पुस्तक लिखी, इस पुस्तक की उपयोगिता को देखते हुए इसका भारत में हिंदी अनुवाद श्री ओमप्रकाश गुर्जर (गांधी) आदि द्वारा किया गया| राणा अलीहसन के अनुसार उनका संबंध ऐतिहासिक पृथ्वीराज चौहान के भाई हरिराज चौहान (हर्रा) के परिवार से था| राणा अलीहसन चौहान ने अपनी वंशावली का लेखा-जोखा सुरक्षित रखा था| उनकी वंशावली का अध्ययन भारतीय उपमहाद्वीप में गुर्जर इतिहास और विरासत को समझने में सहायक हैं| उनकी पुस्तक “ए शोर्ट हिस्ट्री ऑफ़ गुर्जर्स” जिसका हिंदी अनुवाद श्री ओमप्रकाश गुर्जर (गांधी) आदि ने किया हैं, के अनुसार उनकी वंशावली निम्नवत हैं|

1. अर्णोराज चौहान

2. सोमेश्वर चौहान

3. हरिराज चौहान (हर्रा)

4. राणा कलसा (कैराना कस्बे के संस्थापक)

5. राणा सहजा

6. राव कुम्भा (8.3.1265 को खन्द्रावली गाँव की स्थापना की)

7. चंद्रपाल

8. राणा श्रीपाल

9. राणा वीर साल (इस्लाम कबूल कर लिया)

10. राणा हरदेवा

11. राणा दलीप

12. राणा कुंवर

13.मल्हा राव (मल्हीपुर गाँव के संस्थापक)

14. सुखराज

15. हरचंदराज

16. खेतराज

17. मनोहराज

18. राणा बारू

19. राणा दरगाही

20. राय दीन

21. चाँद दीन

22. राणा नत्थू

23. राणा नेमत अली

24. राणा जीवन अली

25. राणा गुलाब अली (1857)

26. नादिर अली उर्फ़ न्यादरा

27. लखमीर

28. रहमत अली

29. अलीहसन (जन्म 13.11.1922)

 उपरोक्त वंशावली के अनुसार हरिराज चौहान के पुत्र राणा कलसा ने कैराना बसा कर उसे अपना केंद्र बनाया| कैराना क्षेत्र में चौहान गुर्जरों की कल्शान खाप की चौरासी, यानि चौरासी गाँव हैं| मुग़ल बादशाह अकबर के समय भी कल्शान खाप प्रभावशाली रूप से अस्तित्व में थी| 1578 ई. में अकबर ने दिल्ली सूबे की पांच खाप जिनमे बालियान जाट खाप, कल्शान गूजर खाप, सलकलेन जाट खाप, दहिया जाट खाप तथा गठवाला जाट खाप सम्मिलित थी, के लिए एक फरमान ज़ारी कर उन्हें धार्मिक मामलो और आतंरिक प्रशासनिक मामलो में स्वतंत्रता प्रदान की थी| आज भी कल्शान खाप के चौहान गुर्जर बालियान और सलकलेन जाटो से विशेष भाईचारा मानते हैं| अबुल फज़ल द्वारा लिखित आईन-ए-अकबरी पुस्तक के अनुसार दिल्ली सूबे की सहारनपुर सरकार में कैराना महल के जमींदार गूजर जाति के थे| इसके अतिरिक्त कांधला जोकि दिल्ली सरकार के अंतर्गत था, वहाँ के जमींदार भी गूजर जाति के थे| इस प्रकार हम देखते हैं कि अकबर के शासनकाल में कल्शान चौरासी के क्षेत्र कैराना-कांधला में गूजर जमींदार थे| कैराना में आज भी कल्शान चौपाल हैं, जहाँ खाप की आवश्यक बैठक होती हैं| वर्तमान कैराना निवासी चौधरी रामपाल सिंह कल्शान चौरासी खाप के मुखिया हैं| आप पूर्व सांसद चौधरी हुकुम सिंह के भतीजे हैं| इसी खानदान के कुछ परिवारो ने कुछ पीढ़ी पूर्व इस्लाम धर्म अपना लिया था, उनमे चौधरी अख्तर हसन और चौधरी मुनव्वर हसन भी सांसद रहें हैं|

 उक्त वंशावली के अनुसार 1265 ई. में राणा अलीहसन चौहान के पूर्वज राव कुम्भा ने खंद्रवली ग्राम बसाया, जहाँ हरिराज चौहान की छठी पीढ़ी में जन्मे राणा वीर साल ने इस्लाम कबूल कर लिया| राणा वीर साल की चौथी पीढ़ी के वंशज मल्हा राव ने मल्हीपुर गाँव बसाया| उक्त वंशावली के अनुसार मल्हीपुर गाँव में ही हरिराज चौहान (हर्रा) की सत्ताईस्वी पीढ़ी में राणा अलीहसन चौहान का जन्म हुआ|

राणा वीर साल के अतिरिक्त चौहान गुर्जरों की कल्शान खाप के बहुत से अन्य परिवारों एवं गाँवों ने भी इस्लाम धर्म काबुल कर लिया था| वर्तमान में कल्शान चौरासी में लगभग 35 गाँवो में मुस्लिम गुर्जर निवास करते हैं| कुछ गाँवों में हिन्दू और मुस्लिम गुर्जरों की मिली-जुली आबादी हैं, जिनके पूर्वज एक हैं, सभी कलसा राज चौहान को अपना पुरखा मानते हैं| चौहान गुर्जरों की कल्शान खाप के हिन्दू-मुस्लिम गुर्जर अपनी एकता के लिए प्रसिद्ध हैं|

 सन्दर्भ-

 1. राणा अली हसन चौहान, गुर्जरों का संछिप्त इतिहास (अनुवाद- श्री ओमप्रकाश गुर्जर (गांधी), यमुनानगर, 2001

2. R S Sharma, Indian Feudalism, AD 300-1200

3. Sushil Bhati, Khaps in Upper Doab of Ganga and Yamuna, Janitihas Blog, 2017 https://janitihas.blogspot.com/2017/01/khaps-in-upper-doab-of-ganga-and-yamuna.html

 4. John F Richards, The Mughal Empire, Part 1, Vol. 5, Cambridge University Press, 1995

5. M C Pradhan, The political system of the Jats of Northern India. 1966

6. Abul Fazl Allami, Ain I Akbari, Vol. II (Translation- H S Jarrett), Calcutta, 1981




 

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