डॉ सुशील भाटी
1 जनवरी - 1 जनवरी को ग्रेगोरियन
कलेंडर के पहले महीने जनवरी का पहला दिन होता हैं| भारत में, रोजमर्रा के सरकारी तथा निजी कामकाज
में ग्रेगोरियन कैलेंडर का प्रयोग होता हैं| सरकारी और निजी दफ्तरों तथा घरो में
ग्रेगोरियन कैलेंडर लटके मिलना एक आम बात हैं| ज्ञान आधारित समाज के एक मूलभूत
स्तम्भ ‘कंप्यूटर’ में भी इसी कैलेंडर का प्रयोग होता हैं| भारत में इस कैलेंडर के
प्रयोग की वज़ह हमारी ब्रिटिश ओपनिवेशिक विरासत और पश्चिम का वैश्विक अर्थव्यवस्था
और राजनीति में दबदबा हैं| भारतीय और वैश्विक समाज में ग्रेगोरियन कैलेंडर एक अति महत्वपूर्ण
स्थान बना चुका हैं, अतः 1 जनवरी को नववर्ष की शुभकामनाए देना एक दस्तूर बन गया
हैं|
चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा - भारत के समाज में अपने कैलेंडर (संवत) प्रचलित
रहे हैं| उनमे से एक अति महत्वपूर्ण संवत विक्रमी संवत हैं| इस संवत का पहला दिन
चैत्र माह के दूसरे पखवाड़े, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा हैं| उत्तर भारत में सभी
धार्मिक और सांस्कृतिक त्यौहार और कार्य विक्रमी संवत की तिथियों के अनुसार ही
किये जाते हैं| चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को देवी के नवरात्रे का धार्मिक त्यौहार
का आरम्भ होता हैं, जिसका समापन दसवे दिन दशहरा से होता हैं| बंगाल प्रान्त में
दशहरे के दिन देवी (काली) की विशेष पूजा-अर्चना होती हैं| इस प्रकार ‘चैत्र शुक्ल पक्ष
प्रतिपदा’ को प्रारम्भ होने वाले ‘विक्रमी
नव वर्ष’ का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व हैं| कुछ विद्वान शक शासक एजेस के
संवत तथा विक्रमी संवत को एक मानते हैं| 12 वी शताब्दी में लिखे गए जैन ग्रन्थ ‘कालकाचार्य
कथानक’ के अनुसार उज्जैन के शासक विक्रमादित्य ने 58 ईसा पूर्व में शको को पराजित
कर विक्रमी संवत को प्रचलित किया था| अतः भारतीय परम्पराओ के क्रम में ‘चैत्र
शुक्ल पक्ष प्रतिपदा’ को नववर्ष के रूप में मनाया जाता हैं|
22 मार्च - शक संवत भारत का राष्ट्रीय संवत हैं| इस संवत को कुषाण / कसाना
सम्राट कनिष्क महान ने अपने राज्य रोहण के उपलक्ष्य में 78 ई. में चलाया था| शक संवत में कुछ ऐसी
विशेषताए हैं, जो भारत में प्रचलित किसी भी अन्य संवत में नहीं हैं जिनके कारण
भारत सरकार ने इसे “राष्ट्रीय संवत” का दर्ज़ा प्रदान किया हैं| वस्तुत भारत सरकार ने सन 1954 में प्रसिद्ध
वैज्ञानिक श्री मेघनाद साहा की अध्यक्षता में संवत सुधार समिति (Calendar
Reform Committee) का गठन किया, जिसने देश में प्रचलित 55 संवतो की पहचान की| कई बैठकों में, हुई
बहुत विस्तृत चर्चा के बाद, संवत सुधार समिति ने स्वदेशी संवतो में से शक संवत को राष्ट्रीय
संवत का दर्जा प्रदान करने कि अनुशंषा की| समिति का मानना था कि शक संवत भारतीय
संवतो में सबसे ज्यादा वैज्ञानिक, सही तथा त्रुटिहीन हैं| शक संवत प्रत्येक
साल 22 मार्च को शुरू होता हैं, इस दिन सूर्य विश्वत रेखा पर होता हैं तथा दिन और
रात बराबर होते हैं| शक संवत देशकाल के हिसाब से सबसे अधिक प्रचलित भारतीय संवत हैं|
पश्चिमी ‘ग्रेगोरियन कैलेंडर’ के साथ-साथ, शक संवत भारत सरकार द्वारा कार्यलीय उपयोग
लाया जाना वाला अधिकारिक संवत हैं| इस संवत का प्रयोग भारत के ‘गज़ट’ प्रकाशन और ‘आल इंडिया रेडियो’ के समाचार प्रसारण
में किया जाता हैं| भारत सरकार द्वारा ज़ारी कैलेंडर, सूचनाओ और संचार
हेतु भी शक संवत का ही प्रयोग किया जाता हैं|
जहाँ तक शक संवत के ऐतिहासिक महत्त्व कि बात हैं, इसे भारत के विश्व
विख्यात सम्राट कनिष्क महान ने अपने राज्य रोहण के उपलक्ष्य में चलाया था| अतः शक नव संवत्सर
अर्थात 22 मार्च कनिष्क महान के राज्य रोहण की वर्ष गाँठ भी हैं|
शक संवत का भारत में सबसे व्यापक प्रयोग अपने प्रिय सम्राट कनिष्क के
प्रति प्रेम और आदर का सूचक हैं, और उसकी कीर्ति को अमर करने वाला हैं| प्राचीन भारत के
महानतम ज्योतिषाचार्य वाराहमिहिर (500 इस्वी) और इतिहासकार कल्हण (1200 इस्वी)
अपने कार्यों में शक संवत का प्रयोग करते थे| उत्तर भारत में कुषाणों और शको के अलावा
गुप्त सम्राट भी मथुरा के इलाके में शक संवत का प्रयोग करते थे| दक्षिण के चालुक्य
और राष्ट्रकूट राजा भी अपने अभिलेखों और राजकार्यो में शक संवत का प्रयोग करते थे|
शक संवत की लोकप्रियता का एक कारण इसका उज्जैन के साथ जुड़ाव भी था, क्योकि यह नक्षत्र
विज्ञान और ज्योतिष का भारत में सबसे महत्वपूर्ण केन्द्र था| मालवा और गुजरात के
जैन जब दक्षिण के तरफ फैले, तो वो शक संवत को अपने साथ ले गए, जहाँ यह आज भी
अत्यंत लोकप्रिय हैं| दक्षिण भारत से यह दक्षिण पूर्वी एशिया के
कम्बोडिया और जावा तक प्रचलित हो गया| जावा के राजदरबार में तो इसका प्रयोग 1633 इस्वी तक होता था, जब वहा पहली बार
इस्लामिक कैलेंडर को अपनाया गया| यहाँ तक कि फिलीपींस से प्राप्त प्राचीन
ताम्रपत्रों में भी शक संवत का प्रयोग किया गया हैं|
महत्वपूर्ण बात ये हैं कि भारत का राष्ट्रीय संवत शक संवत 22 मार्च को
आरम्भ होता हैं|
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