डॉ सुशील भाटी
गुजरात में दीपावली, कार्तिक की अमावस्या, विक्रमी
संवत का अंतिम दिन होता हैं तथा दीपावली से अगला दिन, कार्तिक की शुक्ल पक्ष
प्रतिपदा, विक्रमी संवत का पहला दिन होता हैं| इस प्रकार गुजरात में दीपावली से
अगले दिन नव वर्ष ‘नूतन वर्ष’ बेस्टू वर्ष’ के रूप में मनाया जाता हैं हैं, इसे विक्रमी
नवसंवत्सर भी कहते हैं| गुजरात के लोग इस दिन लक्ष्मी पूजन करते हैं तथा नव वर्ष
दिवस को ‘अन्नकूट’ के नामक त्यौहार के रूप में मनाते हैं| गुजरात ही नहीं उत्तर
भारत के अन्य राज्यों के व्यापारी समुदाय भी कार्तिक की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को नव
वित्तीय वर्ष के रूप में मानते हैं और इस दिन से अपने व्यापारिक खातो को बंद कर नए
खातो की शुरुआत करते हैं| परम्परागत रूप से भारत में दीपावली की व्यापारी बनिया
समुदाय के त्यौहार के रूप में मान्यता रही हैं| इस प्रकार दीपावली के अवसर पर लक्ष्मी
पूजन कर व्यापारी समुदाय नव का शुभारम्भ करता हैं, यह परम्परा गुजरात में अधिक
स्पष्ट और बलवान हैं|
वैसे उत्तर भारत में दीपावली से अगले दिन, कार्तिक
की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा, को गोवर्धन पूजा का त्यौहार धूम-धाम से मनाया जाता हैं परन्तु
उसमे नव वर्ष दिवस जैसा कुछ नहीं होता|
गुजरात तथा उत्तर भारत के परम्परागत व्यापारी
समुदाय के इस नव वर्ष दिवस की जानकारी इस मायने में भी महत्वपूर्ण हैं कि शेष
उत्तर भारत में कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा नहीं बल्कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को
विक्रमी संवत का नव वर्ष दिवस होता हैं|
सन्दर्भ-
भोजराज दिवेदी,
रिलीजियस बेसिस ऑफ़ हिन्दू बिलीफ्स,