डॉ. सुशील भाटी
गौतम बुद्ध का जन्म
563 ईसा पूर्व में नेपाल की तराई स्थित लुम्बिनी वन में हुआ था| उनके पिता का नाम शुद्रोधन
और माता का नाम महामाया था| शुद्रोधन शाक्य गणसंघ के मुखिया था तथा राजा कहलाते थे| पाली भाषा में
शाक्य के स्थान पर सक्य अथवा सक्क शब्द आया हैं|
गौतम बुद्ध के समय
आधुनिक उत्तरी बिहार में कपिलवस्त के शाक्य, पावापुरी और कुसिनारा के मल्ल, वैशाली
के लिच्छवी, मिथिला के विदेह, रामगाम के कोलिये, पीपलवन के मोरिये आदि गणसंघ अस्तित्व
में थे| पाली भाषा में गण का अर्थ कबीला होता हैं| इस प्रकार ये गणसंघ कबीलाई संघ
थे, जिनका शासन कबीले के प्रमुख लोगो (गणमान्यो) की आपसी सहमति या बहुमत के आधार
पर चलता था| इन्ही गणसंघो में से एक शाक्य था, जिसमे गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था| कौशल
नरेश विरुधक जिसकी माँ शाक्य कुल की थी, उसने कपिलवस्तु पर आक्रमण कर उनकी
राजनैतिक शक्ति और पहचान को नष्ट कर दिया था|
भारत में लगभग 80 ईसा
पूर्व से हमें शक जाति के राजाओ का इतिहास प्राप्त होता हैं, जोकि भारत के उत्तर पश्चिम क्षेत्रो में चार सो वर्ष
तक शक्तिशाली राजनैतिक तत्व के रूप में विधमान रहे, हालाकि शको ने कुषाणों की
अधीनता स्वीकार कर ली थी| कनिष्क के रबाटक अभिलेख से ज्ञात होता हैं कि उसके
शासन के पहले वर्ष में उज्जैन उसके साम्राज्य का हिस्सा था| उस समय वहां शक शासक
चष्टन कनिष्क के क्षत्रप के रूप में तैनात था| कनिष्क कुषाण (कसाना) के सिक्को पर
कुषाणों की आर्य नामक भाषा में गौतम बुद्ध
को ϷΑΚΑΜΑΝΟ
ΒΟΔΔΟ (Shakamano Boddo, शकमनो बोददो)
अंकित किया गया हैं| गौतम बुद्ध के शाक्य कुल से क्या इन शको का कोई सम्बन्ध था
अथवा नहीं यह खोजबीन का विषय हैं| कुछ विद्वान जिनमे माइकल वितजेल ततः क्रिस्टोफर
एल. बेकविथ मुख्य हैं गौतम बुद्ध के शाक्य कबीले को शक ही मानते हैं| अगर यह सच
हैं तो शायद इसी कारण से शको ने अपने शासनकाल में बौद्ध धर्म का काफी समर्थन किया
वर्तमान उत्तर
प्रदेश में शाक्य काछी जाति का एक घटक भी हैं|
बौद्ध पाली साहित्य में गौतम बुद्ध को खत्तिय बताया गया
हैं| ऐसा प्रतीत होता हैं कि उस समय शासक वर्ग के लिए खत्तिय या क्षत्तिय शब्द
काफी बड़े भूभाग पर प्रचलित था| बेहिस्तून अभिलेख के अनुसार ईरान के शासक दारा (522-486) की उपाधी क्षत्तिय
क्षत्तियानाम थी| अलग-अलग क्षेत्रो में बोलचाल की भाषा में क्ष
ध्वनि ख में प्रवर्तित हो जाती हैं, जैसे क्षेत्र का खेत हो जाता हैं| पंजाब में एक जाति का नाम खत्री हैं जोकि क्षत्री का
एक रूप हैं| खत्तिय तथा क्षत्तिय का संस्कृत रूप क्षत्रिय हैं| इस प्रकार संभवतः बेहिस्तून
अभिलेख क्षत्रिय शब्द के प्रयोग का प्राचीनतम पुरातात्विक प्रमाण हैं और पाली का
खत्तिय शब्द प्राचीनतम साहित्यिक प्रमाण हैं| कनिष्क (78-101 ई,) ने भी रबाटक अभिलेख में अपने
साम्राज्य के राजसी वर्ग के लिए क्षत्रिय शब्द प्रयोग किया हैं|
सन्दर्भ-
1. Attwood, Jayarava. (2012). Possible Iranian Origins for the
Śākyas and Aspects of Buddhism.. Journal of the Oxford Centre for Buddhist
Studies. 3. 47-69. https://www.researchgate.net/publication/280568234_Possible_Iranian_Origins_for_the_Sakyas_and_Aspects_of_Buddhism/link/55ba4cfb08aec0e5f43e995a/download
2. Some scholars, including Michael Witzel and Chritopher l Beckwith suggested that the Shakyas, the clan
of the historical Gautam Buddha were
originally Scythian from Central Asia,
and that the Indian ethnonym Śākya has the same origin as “Scythian”,
called Sakas in India. This would also explain the strong support of the Sakas
for the Buddhist faith in India. https://en.wikipedia.org/wiki/Indo-Scythians
3. https://socrethics.com/Folder2/Hellenism-Buddhism.htm
4. Darius and Xerexs called themselves Kshatiya = Skt. Kshatriya ,
Pali’s Khattiya.. Chandra Chakraberty, The cultural History of Hindus, Calcutta,
p253