Search This Blog

Thursday, June 29, 2017

भारत में हूण पहचान की निरंतरता : हूण गुर्जरों के गाँवो का सर्वेक्षण

डा. सुशील भाटी

बुहलर, होर्नले, वी. ए. स्मिथविलियम क्रुक आदि इतिहासकारो ने गुर्जरों को श्वेत हूणों से सम्बंधित माना हैं कैम्पबेल और डी. आर. भंडारकर गुर्जरों की उत्पत्ति श्वेत हूणों की खज़र शाखा से बताते हैं| भारत में आज भी ‘हूण’ गुर्जरों का एक प्रमुख गोत्र हैं जिसकी आबादी अनेक प्रदेशो में हैं|

छठी शताब्दी के उतरार्ध में हूण साम्राज्य के पतन के बाद हूण गुर्जरों की उपस्थिति नवी-दसवी शताब्दी में पंजाब में प्रमाणित होती हैं| हूण सम्राट तोरमाण और उसके पुत्र मिहिरकुल (502-542) ई. के सिक्को पर उनके कुल का नाम ‘अलखान’ अंकित हैं| राजतरंगिणी के अनुसार पंजाब के शासक ‘अलखान’ गुर्जर का युद्ध कश्मीर के राजा शंकर वर्मन (883- 902 ई.) के साथ हुआ था| इतिहासकार हरमट के अनुसार हूणों के सिक्को पर बाख्त्री भाषा में उत्कीर्ण ‘अलखान’ वही नाम हैं जोकि कल्हण की राजतरंगिणी में उल्लेखित गुर्जर राजा का हैं| इतिहासकार अलार्म के अनुसार ‘अलखान’ हूण शासको की क्लेन / कुल का नाम हैं| इतिहासकार बिवर के अनुसार मिहिरकुल का उतराधिकारी ‘अलखान’ था| अतः भारत में हूण साम्राज्य के पतन के बाद भी पंजाब में तोरमाण और मिहिरकुल के परिवार की शक्ति अक्षुण बनी रही तथा नवी शताब्दी में पंजाब पर शासन करने वाला अलखान गुर्जर उनके ‘अलखान’ परिवार का वारिस था| 

वर्तमान में उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार जिले में लक्सर कस्बे के पास हूण गोत्र का “चौगामा” यानि चार गाँव का समूह हैं| कुआँ खेडा, मखयाली, रहीमपुर और भुर्ना गाँव इस ‘हूण’ चौगामे का हिस्सा हैं| इनके अतिरिक्त मंगलोर के पास बिझोली गाँव में हूण गुर्जर हैं| वास्तविकता में कुआ खेडा गाँव के एक हूण परिवार के पूर्वज बिझोली से आकर बसे थे| बिझोली गाँव में आज भी इस परिवार की पुश्तैनी ‘सती देवी’ के मंदिर हैं| कुआ खेडा का दूसरा परिवार कनखल स्थित प्राचीन मायापुरी नगरी से आया हैं| मायापुरी में भी इनके पूज्य सती मंदिर हैं| इनके अतिरिक्त उत्तराखंड के हरिद्वार जिले मे ही झबरेडा के पास हूण गुर्जरों का एक बड़ा गाँव हैं, जिसका नाम ‘लाठ्हरदेवा हूण’ हैं|

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में सरसावा रेलवे स्टेशन के पास ‘अलीपुर-काजीपुर’ हूण गुर्जरों के गाँव हैं| मुज़फ्फरनगर जिले में पुरकाजी के पास शकरपुर और भदोलीगाँव  में हूण गोत्र के गुर्जर हैं|

उत्तर प्रदेश के हापुड़ और मेरठ जिले में हूण गोत्र के गुर्जरों का बारहा हैं| बारहा  का अर्थ हैं-12 गाँव की खाप या समूह| गोहरा, मुदाफरा, औरंगाबाद, मुक्तेसरा, माधोपुर, पीरनगर, दतियाना, सालारपुर, सुकलमपुरा, मडैय्या, अट्टा और नवल इस ‘हूण खाप’ के गाँव हैं| इसमें पहले 11 गाँव हापुड़ जिले में तथा बारहवा गाँव नवल मेरठ जिले में हैं| मेरठ में शाहजहाँपुर के पास सदुल्लाह्पुर गाँव में भी हूण गुर्जरों के परिवार रहते हैं|  

आगरा जिले में भी हूण गुर्जरों के गाँव हैं|

राजस्थान  में हूण गुर्जर मुख्य रूप से अलवर, भरतपुर, दौसा, अजमेर, सवाई माधोपुर, टोंक, बूंदी, कोटा, चित्तोडगढ और भीलवाड़ा जिले में पाए जाते हैं|  पूर्व मध्य काल में कोटा, बूंदी आदि जिलो का हाड़ोती क्षेत्र हूण प्रदेश कहलाता था| 

अलवर जिले में हूण गुर्जरों के सात गाँव में हूण गुर्जर निवास करते हैं| अलवर जिले की तहसील लक्ष्मण गढ़ में बांदका हूण गुर्जरों का प्रमुख गाँव हैं| भरतपुर जिले में डीग के पास ‘महमदपुर’ हूण गुर्जरों का गाँव हैं| इसी के पास ‘अधावाली’ गाँव में भी हूण गुर्जरों के कुछ परिवार निवास करते हैं| भरतपुर जिले के बसावर क्षेत्र में ‘इटामदा’ और ‘महतोली’ हूण गुर्जरों के गाँव हैं| दौसा जिले में सिकंदरा के पास ‘पीपलकी’ हूण गुर्जरों का प्रसिद्ध गाँव हैं, जोकि अपनी बहादुरी के लिए जाना जाता हैं| अजमेर जिले में ‘नारेली’, ‘लवेरा’, ‘बासेली’, घोड़दा और ‘भेरूखेड़ा’ हूण गुर्जरों के मुख्य गाँव हैं| टोंक जिले में सरोली, ‘गांवडी’, ‘कल्याणपुर’, ‘बसनपुरा’, ‘चान्दली माता’ और ‘रंगविलास’ ग्रामो में हूण गुर्जरों का निवास हैं| गांवडी गाँव में हूण गुर्जरों का पूज्य एक सती मंदिर भी हैं| कहते हैं कि गांवडी में पहले तंवर गुर्जर रहते थे| इन्होने अपनी एक बेटी का विवाह भीलवाड़ा जिले के टीकर गाँव के हूण गुर्जर के साथ कर दिया| किसी कारण वश दोनों परिवारों में संघर्ष हो गया| जिसमे तंवर परिवार के दामाद की मृत्यु हो गई और उसकी पत्नी सती हो गई| बाद में हूण गुर्जर गाँव में आबाद हो गए और उन्होंने अपनी पूर्वजा की याद में सती मंदिर का निर्माण करवाया| हिण्डोली और बूंदी के कुछ हूण परिवार गांवडी से ही प्रव्रजन कर वहां बसे हैं|

कोटा-बूंदी का क्षेत्र पूर्व मध्य काल में हूण प्रदेश के नाम से जाना जाता था| बूंदी इलाके  में रामेश्वर महादेवभीमलत और झर महादेव हूणों के बनवाये प्रसिद्ध शिव मंदिर हैंबिजोलियाचित्तोरगढ़ के समीप स्थित ‘मैनाल’ कभी हूण राजा अन्गत्सी की राजधानी थीजहा हूणों ने तिलस्वा महादेव का मंदिर बनवाया थायह मंदिर आज भी पर्यटकों और श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता हैंकर्नल टाड़ के अनुसार बडोलीकोटा में स्थित सुप्रसिद्ध शिव मंदिर हूणराज ने बनवाया था| आज भी इस इलाके में हूणों गोत्र के गुर्जरों  के अनेक गांव हैं बूंदी शहर के बालचंद पाड़ा मोहल्ले में भी हूण गुर्जरों की पुरानी आबादी हैं| बूंदी जिले में राणीपुरा, नरसिंहपुरा, रामपुरा, झरबालापुरा, सुसाडिया, नीम का खेडा, झाल jआदि हूण गुर्जरों के प्रसिद्ध गाँव हैं| हिण्डोली में नेहडी, सहसपुरिया, टरडक्या, टहला, सलावलिया और खंडिरिया हूण गुर्जरों के गाँव हैं| सती माँ का एक मंदिर ग्राम मांगटला, जिला भीलवाडा में हैं जोकि खंडिरिया, झाल, बूंदी शहर के बालचंद पाड़ा तथा नेहडी के कुछ हूण परिवार की कुल देवी हैं| नेहडी के अधिकांश हूण परिवारो की कुल देवी, सती माँ का मंदिर बूंदी जिले के खेरखटा ग्राम में हैं| कोटा जिले में ‘रोजड़ी’, राजपुरा और पीताम्बपुरा हूण गुर्जरों के मुख्य गाँव हैं|

चित्तोडगढ जिले की बेगू तहसील में ‘पारसोली’ हूण गुर्जरों का प्रमुख गाँव हैं| भीलवाड़ा जिले की जहाजपुर तहसील में टिटोडा. बरोदा,  मोतीपुरा मोहनपुरा और गांगीथला तथा शाहपुरा तहसील में ‘बच्छ खेड़ा’ हूण गुर्जरों के गाँव हैं|  भीलवाड़ा की केकड़ी तहसील में गणेशपुरा गाँव में हूण गुर्जर निवास करते हैं|

छठी शताब्दी के पूर्वार्ध में मध्य प्रदेश के  ग्वालियर क्षेत्र में हूणों का आधिपत्य था| हूण सम्राट मिहिरकुल के शासन काल के पंद्रहवे वर्ष का एक अभिलेख ग्वालियर के पास से एक सूर्य मंदिर से प्राप्त हुआ हैंग्वालियर जिले की डबरा तहसील में भारस हूण गुर्जरों का प्रमुख गाँव हैं| आज भी चंबल संभाग ग्वालियर तथा इसके समीपवर्ती जिलो के गुर्जर बाहुल्य अनेक गाँवो में हूण गुर्जरों की बिखरी  आबादी हैं| ग्वालियर की डबरा तहसील में भारस हूण गुर्जरों का मुख्य गाँव हैं| भरास के पास ही चपराना गुर्जरों का बडेरा गाँव हैं| दोनों गोंवो के लोग पग-पलटा भाई माने जाते हैं तथा आपस में शादी नहीं करते| मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में नरवर के पास डोंगरी, और टिकटोली हूण गुर्जरों का प्रसिद्ध गाँव हैं| डोंगरी नल-दमयंती के पौराणिक आख्यान के पात्र मनसुख गुर्जर का गाँव माना जाता हैं| मनसुख हूण गोत्र का गुर्जर था तथा राजा नल का दोस्त था| मनसुख गुर्जर ने संकट के समय राजा नल का साथ निभाया था| आम समाज आज भी मनसुख गुर्जर को एक आदर्श दोस्त के रूप में देखता हैं| डोंगरी में एक किले के भग्नावेश भी हैं जोकि मनसुख गुर्जर का किला माना जाता हैं| भारत के प्रथम हूण सम्राट तोरमाण का अभिलेख मध्य प्रदेश के सागर जिले स्थित एरण स्थान से प्राप्त हुआ हैं| मध्य प्रदेश में हूण गुर्जर भोपाल तक पाए जाते हैं|

महाराष्ट्र के दोड़े गुर्जरों में हूण गोत्र हैं| खानदेश गजेटियर के अनुसार दोड़े गुर्जरों के 41 कुल हैं| इनमे से एक अखिलगढ़ के हूण हैं|

सन्दर्भ

1वी. ए. स्मिथ, “दी गुर्जर्स ऑफ़ राजपूताना एंड कन्नौज, जर्नल ऑफ़ दी रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड, 1909, प. 53-75 
2. विलियम क्रुक,” इंट्रोडक्शन”, अनाल्स एंड एंटीक्विटीज़ ऑफ़ राजस्थान, खंड I, ( संपा.) कर्नल टॉड
3. ए. आर. रुडोल्फ होर्नले, “सम प्रोब्लम्स ऑफ़ ऐन्शिएन्ट इंडियन हिस्ट्री, संख्या III. दी गुर्जर क्लैन्स”, जे.आर.ए.एस., 1905, प. 1- 32
4. सुशील भाटी, “शिव भक्त सम्राट मिहिरकुल हूण”, आस्पेक्ट ऑफ़ इंडियन हिस्ट्री, समादक- एन आर. फारुकी तथा एस. जेड. एच. जाफरी, नई दिल्ली, 2013, प. 715-717
5. एम. ए स्टीन (अनु.), राजतरंगिणी, खंड II प. 464
6. जे.एम. कैम्पबैलदी गूजर”बोम्बे गजेटियर, खण्ड IX, भाग 2, 1901, प. 501
7. ए. कुर्बनोव, दी हेप्थालाइटस: आरकिओलोजिकल एंड हिस्टोरिकल एनालिसिस ( पी.एच.डी थीसिस) बर्लिन 2010, प. 100n
8.वी. ए. स्मिथ, “व्हाइट हूण कोइन ऑफ़ व्याघ्रमुख ऑफ़ दी चप (गुर्जर) डायनेस्टी ऑफ़ भीनमाल”, जर्नल ऑफ़ रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड, 1907, प 923-928
9. बी. एन. पुरी, हिस्ट्री ऑफ गुर्जर-प्रतिहारनई दिल्ली, 1986, प. 12-13
10. डी. आर. भण्डारकरफारेन एलीमेण्ट इन इण्डियन पापुलेशन”, इण्डियन ऐन्टिक्वैरी खण्डX L, 1911,प
11. खानदेश डिस्ट्रिक्ट गजेटियर

Friday, June 2, 2017

Gurjara Khaps of Rajasthan


Dr Sushil Bhati

In Rajasthan Gurjaras use words ‘Nakh’ for clan and ‘Ghaad’ for khap respectively. 
  
Here Gurjaras are divided in two endogamous multi-clan groups – Laur and Khari. Laur Gurjaras claim their origin from Lava, the son of Rama. While Khari  Gurjaras claim Kush, the another son of Rama as their progenitor.

There is a Multi-clan khap of Khari Gurjar known as “Chaurasi” with Gangapur city as it’s headquarter. Chaurasi means the Khap of eighty four villages. Khari Gurjara “Chaurasi” khap, covers the villages of Bayana, Bharatpur, Swai Madhopur, Karauli, Jaipur and Udaipur districts.

Khatana clan of Gurjaras in karauli has a khap (Barah) of 12 villages. Village Kaimri and Tesh Gaon are the headqurters of the Khap. Sooda Baba is regarded as the ancestor of the Khap. There is proverb regarding the khap headquarter- 

 “ Ghane Khatane kaimri  Tongad Bhandarez
Mare Haten Na Bainsle Kachhawahe Amer”

Bainsla clan of Gurjaras in Karauli district has a Khap (Barah) of 12 villages. Village Gudla Pahari is headquarter of the Khap. Bainslas immigrated to this area from village Kanaawar of Bayana.

Bidarwas clan of Gurjara has a khap of 12 villages in Karauli district . Toka Bindpura village is the headquarters of the khap.

Mawai clan in Karauli-Bayana area has khap of 12 villages with village Tali Kot as it’s headquarter.

Mawai Clan of Gurjaras also has another khap in Bayana area. The khap has 12 Villages and Rarouda is it’s headquarter.  

Kasana clan of Gurjaras in Sikandara area of Dausa district has khap of 12 villages.

Kasanas’ another khap has 12 Villages in Kotpootli area of Jaipur .

Biggest Kasana Khap in Rajasthan is in Dholpur area which consists of a group of 28 villages. Originally they may have been twenty four which grew into twenty eight with a span of time.

Rawat clan of Gurjaras in Kotpootli area of Jaipura has a khap of 12 Villages.

Poswal khap of Gurjaras in Swai Madhopur district has 12 villages. Village Kochar ka Dera is the headquarters of the khap.

Ghuraiyya clan of Gurjaras has a khap of 28 villages in Dholpur district. Originally they may have been twenty four which grew into twenty eight over a span of time. Village Bichhiya Maroli is the headquarters of the khap. It is believed that Ghuraiyyas came here from Ghuraiyya Basai village of Madhya Pradesh.

Tanwar clan of Gurjaras has a khap of 12 villages which lies in the basin of Gambhir river. The khap is situated in Bayana area with village Maroli as it’s headquarter. The Tanwar Gurjaras are believed to have come here from Delhi. Propbably their headquarter name Maroli is a Corruption of town named Mehrauli in Delhi where Tanwar Gurjaras still have a khap of 12 villages. It is interesting to note that Mehrauli, Delhi was the capital of Tanwar Rulers of Delhi.

Kaanwar Khap of Gurjaras in Bayana area has 12 villages and village Tarsooma and Ghunaini forms its headquarters.

Dhadandiya clan of Gurjaras has a khap of 12 villages in Badnor-Aseend area of  Bhilwara district.

There is a multi-clan Gurjaras khap of 13 villages in Mahaveer ji area. Among 13 villages Panwar clan has 5 villages. Chauhan, Harshana, karhana and Riyana clans also own villages of khap. Village Akbarpur and Naurangabad of the khap lies in vicinity of Mahaveer ji. Dev Narayan temple in Mahveer ji is the meeting place of the khap. 

‘Solanga’ is also a multi clan khap of Gurjaras. Solanga means group of sixteen villages.  Khap lies in Mahuwa area of Dausa district. Fagna, Peelwan, Dayma, Chechi, Awana clans of Gurjaras owns the villages in Solanga Khap. Village Gajipur Khaavda is the headquarters of the Khap.  Dev Narayan Temple in this village is the meeting place of the khap.

Thus, we witness many Barahas i.e. group of twelve villages of a particular Clan of Gurjaras in North Eastern Rajasthan. Alberuni who visited India with Mahmud Ghaznavi in the beginning of eleventh century tells us about a ‘Gujarat’ in the same region with Bazan as its capital. Bazan may be identified with Bayana as sometimes y changes with j as yogi is called jogi in Prakrit or Apabhramsa. In Bayana Gurjaras have 80 villages in region known as  “Nehda” in local idiom.There is also a chaurasi of Khari Gurjaras. 

In South and South Eastern Rajasthan Such Clan ‘Barahas’ are rare. Here we mostly find mix clan Gurjara villages. South Rajasthan was the stronghold of the Gurjaras from about 550 to 1000 A D. Hieung Tsang (629-645 A D) in his book Si Yu ki speaks of Gujar kingdom with Bhinmal in modern South Rajasthan as its Capital. Astronomar Brahmgupta informs us that ruler of Bhinmal Vyaghrmukh belonged to the Chapa (modern Chavda or Chaprana clans) dynasty. Later a Pratihara family ruled the region ‘Gurjarratra’ i.e. Modern South Rajasthan with Mandor as its Capital. The Pratihara family of Mandor was the feudatory of imperial Gurjara Pratiharas of Kannauj and like them claimed their descent from Lakshmana, the brother of Rama. Thus, Mandor Pratiharas may have been the branch of imperial Gurjara Pratihara family of Kannauj. 

Famous historian R S Sharma ascribes the formation of these units of 12 villages or its multiples to the Gurjara Pratihara’s or their feudatories rule in North Western India during the early medieval period. He says what distinguished the Gurjara Pratihara polity from that of contemporary Rastrakutas and Palas was the imposition of clan aristocracies on old, settled villages. He further says that Gujar imposed themselves as dominant clans on settled villages. The tribal practice that spoils should be distributed among the members of the tribe led to the apportionment of villages among the conquering chiefs, some of them received them in units of 84.

It seems quite clear that the ‘Barahas’ were granted by Gurjara Pratiharas to the clan leaders or aristocracies after their victory in north of Ujjain, which was their capital before their rise as a imperial power. It is seen above that in olden days ‘Gurjarratra’ Gurjaras have mix clan villages instead of unit of twelve villages.

References

  1. R S Sharma, Indian Feudalism, AD 300-1200,Delhi, 2006https://books.google.co.in/books?isbn=1403928630
     2. B.N. Puri, History of the Gurjara Pratiharas, Bombay, 1957
    3. V. A. Smith, The Gurjaras of Rajputana and Kanauj, Journal of the Royal Asiatic Society of Great Britain and Ireland, (Jan., 1909), pp.53-75
    4. V A Smith, The Oford History of India, IV Edition, Delhi, 1990
    5. P C Bagchi, India and Central Asia, Calcutta, 1965
    6. Romila Thapar, A History of India, Vol. I., U.K. 1966.
    7. R S Tripathi, History of Kannauj



Sunday, April 16, 2017

Khaps of Haryana


Dr Sushil Bhati

Khokhar-Rawal khap of Gurjaras is a unit of 27 Villages in Panipat district. It is believed that they Came here from beyond the Lahore. First they settled in Rana khera (now known as Rajapur) but then moved to kabri and Kohand where they held a Barah of 12 villages; they also held Bapauli, When they eventually settled 27 (sataisi) villages of Khojgipur thappa in khadir. They still hold the khadir villages but have lost most of those near the Kohand.

Chokker khap (Chaubisi) of Gurjaras is a unit of 24 Villages in Panipat district with Namaunda as its headquarters. They immigrated from Jewar thappa beyond Mathura.

Bhamla khap (Barah) of Gurjaras consists of a unit of 12 villages in Gurgaon district.  Its head quarter is at village Harchandpur Khor.

Khatana khap of Gurjaras (Barah) is a unit of 12 villages in Gurgaon district. Its headquarter is at village Rozka Gujar( Damdama).

Tanwar Khap of Gurjaras is a unit of 12 villages which lie in mehrauli, Delhi and adjoining region of Haryana. Out of these 12 Villages 8 villages are in Mehrauli area of Delhi and 4 villages in Gurgaon and Faridabad districts of Haryana. Fatehpur Beri and Gwal Pahari are the head quarters of the Khap. Asola in Delhi and  Ankhir in Faridabad are also important village of the khap. Anangpal Tanwar shifted his capital from Anangpur in Faridabad district to Mehrauli and laid the foundation of Delhi.  Anangpur is now a village and still has some families of Tanwar Gurjaras . It seems that the Tanwar Khap area formed the nucleus of Tanwar kingdom of Dilli during early medieval period.

Bhadana khap (Barah) of Gurjaras consists of a unit of 12 Villages in Faridabad district. Village Pali is the headquqrter of the khap. Village Anangpur named after Anangpal Tanwar still having the archaeological remains of capital town of Tanwars  forms the part of this khap. Later Tanwars shifted their capital to Mihirpur now known as Mehrauli. But remaining families of Tanwar Gurjaras still reside in Anangpur village along with Bhadana Gurjaras.  From this khap area some  Bhadana Gurjaras moved across the Yamuna in Vicinity of Meerut where too they have Barah, unit of 12 villages. Bhadanas also had a stronghold in Bayana region of Rajasthan which was known as Bhadana or Bhadanak desh during 12th century and we have many references of their fight with Chauhans of Delhi and Ajmer. We also come to know about Valiant fight of Bhadanas of Pali and Pakhal against Sher Shah Suri while he was raising a fortification at Purana Kila in Delhi.

Nangdi khap of Gurjaras has Chaurasi, 84 Villages in Faridabad district. Infact, Nangdis reside in 24 villages rest of the villages belong to other Gurjara clans or non Gurjara caste. Villages Neemka and Tigaon are the head quarters of the Khap. From here some Nangdi Gurjara moved to other side of river Yamuna where they have a chaubisi, unit of 24 villages in Dadri area of Gautam Buddh Nagar district. From there they moved further east into Meerut district. Here during the mid nineteenth century, their chief Jait singh got Mukarrardari of 350 villages from Mughals and laid the foundation of Bahsuma-Parikshatgarh Riyasat. Nangdi chiefs styled themselves as Rajas and built the forts ‘Kilas’ at Bahsuma and Parikshatgarh. Thereafter Parikshat Garh in Meerut came to be known as Kila Parikshat Garh or simply Kila.

Bainsla clan of Gurjaras has a chaubisi, unit of  24 villages in Palwal district. Kushak-Badoli forms the head quarter of the khap. Like the other Gurjaras Bainslas also crossed the Yamuna and have a Barah, a unit of 12 villages in Loni area of Baghpat district.

Meham Chaubisi of Jats in Rohtak area is a mix khap having villages of Malik, Dalal, Rathi and Boora clans of Jats.  Madina, Meham and Mokhra are the main villages of this Khap.

Hooda khap of Jats in Rohtak, Sonipat and Jhajjar area.

Dalal Khap of Jats in Rohtak, Bhiwani area.

Dahia Khap of jats in Sonipat and Panipat district.

Ahlawat khap of Jats in Jhajjar and Panipat area.

Rathi khap of Jats in Sonipat and Rohtak area.

Sangwan khap of Jats in Bhiwani area.

Gathwala Khap of Malik Jats in Sonipat area of Haryana and Muzaffarnagar district of Uttar Pradesh.

We see that Khaps of Gurjaras are geneally situated along the bank of river Yamuna in eastern Haryana while the Jat Khaps are more concentrated in western and northern districts of Haryana. The Gurjara Khaps’ villages are generally found in unit of 12 or its multiple I.e.  24 or 84. But no such thing is followed in settlements of Jats khaps in Haryana except the Meham Chaubisi in Rohtak district, although Jat clans’ villages are more numerous but scattered in Haryana. It is also clear that many Gurjara clans settled in upper doab of Yamuna and Ganga went there from the Haryana. There are also indications that, in turn, many Gurjara clans came to Haryana and Delhi from Rajasthan during the reign of Gurjara Pratihara and their feudatories Tomars and chauhans as famous Historian R S Sharma ascribes the formation of these units of 12 villages or its multiples to the Gurjara Pratiharas or their feudatories rule in North Western India during the early medieval period. He says that what distinguished the Gurjara Pratihara polity from that of contemporary Rastrakutas and Palas was the imposition of clan aristocracies on old, settled villages. He further says that Gujar imposed themselves as dominant clans on settled villages. The tribal practice that spoils should be distributed among the members of the tribe led to the apportionment of villages among the conquering chiefs, some of them received them in units of 84. It implies that Khaps which are unit of 12 villages or its multiple constitute the clan aristocracies of Gurjara Pratihara empire system or polity.

       References


           R S Sharma, Indian Feudalism, AD 300-1200,Delhi, 2006, P 88-89
       https://books.google.co.in/books?isbn=1403928630

       B.N. Puri, History of the Gurjara Pratiharas, Bombay, 1957

       V. A. Smith, The Gurjaras of Rajputana and Kanauj, Journal of the Royal Asiatic Society of Great Britain and Ireland, (Jan., 1909), pp.53-75

            V A Smith, The Oford History of India, IV Edition, Delhi, 1990

            P C Bagchi, India and Central Asia, Calcutta, 1965

            Romila Thapar, A History of India, Vol. I., U.K. 1966.

           R S Tripathi, History of Kannauj

       Denzil Ibbetson, Report on the revision of the settlement of the  Panipat Tehsil and Karnal Pargana of Karnal District,1872-1880, Allahbad, 1883, p 84
https://books.google.co.in/books?id=cU-bknDEhQAC


Saturday, January 21, 2017

Khaps in Upper Doab of Ganga and Yamuna

Dr Sushil Bhati


Khap is generally a unit of 12 villages or multiple of 12 i.e. 24, 60 or 84 villages of a particular clan or gotra of tribe or caste. Khaps are generally found in North western India, among Gurjara, Jats and Rajputs. Historically, the region was dominated by Sakas, Kushanas, Hunas and Gurjara Pratiharas in ancient and early medieval times. Famous historian R S Sharma ascribes the formation of these units of 12 villages or its multiples to the Gurjara Pratihara’s or their feudatories rule in North Western India during the early medieval period. He says what distinguished the Gurjara Pratihara polity from that of contemporary Rastrakutas and Palas was the imposition of clan aristocracies on old, settled villages. He further says that Gujar imposed themselves as dominant clans on settled villages. The tribal practice that spoils should be distributed among the members of the tribe led to the apportionment of villages among the conquering chiefs, some of them received them in units of 84.

It implies that Khaps constitute the clan aristocracies of Gurjara Pratihara empire system or polity. It also implies that Jat clans formed the bulk of Gurjara Pratihara army along the clans of leading Gurjara tribe. Arab traveler Al Masudi informs in his book ‘Muruz-ul-zahab’ that Gurjara Pratihara had four armies, each having 7 to 9 lakhs soldiers. Such vast army of around 28-36 lakhs men is only possible if all such clan aristocracies imposed on old, settled villages are included in it.

The upper doab of Ganga and Yamuna comprises the Modern district of Saharanpur, Haridwar, Shamli, Muzaffarnagar, Baghpat, Meerut, Hapur, Ghaziabad, Bulandshahar and Gautam Budh Nagar. The Trans Yamuna region of East Delhi also part of upper doab.

Some major khaps of Upper Doab of Ganga and Yamuna are as follows-

1. ‘Khubar’ Panwar Khap (Chaurasi) of Gurjaras of 84 villages in Saharanpur district.

2. Butar Khap of Gurjaras of 52 villages in Saharanpur district.

3 Chokker khap (Chaubisi) of Gurjaras of 24 villages in Saharanpur district.

4. Kalsian Chauhan Khap (Chaurasi) of Gurjaras comprising of 84 Villages in Khandhla- Kairana area in shamli district.

5. Baliyan Khap (Chaurasi) of Jats of 84 villages in Shamli- Muzaffarnagar area.

6. Malik Khap of Jats of 45 villages in Shamli-Muzaffarpur area.

7. Rajput khap of 24 villages (Chaubisi) in Sardhana area of Meerut district.

8. Tomar Khap (Barah) of Rajputs of 12 Villages in Meerut.

9. Bhadana Khap (Barah) of Gurjaras of 12 villages in Meerut.

10. Chaprana Khap (Barah) of Gurjaras of 12 villages in Meerut-Baghpat area.

11. Huna Khap(Barah) of Gurjaras of 12 villages in Meerut-Hapur area.

12. Salaklain khap (Chaurasi) of Jats of 84 villages in Baghpat district.

13. Bainsla Khap (Barah) of Gurjaras  of 12 villages in Loni area.

14. Kasana khap(Barah)  of Gurjaras of 12 villages in Loni area.

15. Ahir khap of 24 villages in Bulanshahar district.

16. Bhati khap (Teenso Saatha) of Gurjaras of 360 villages in Gautam Budh Nagar. In Medieval times Kaasnaa and Dadri were their seats of power of Bhati Gurjaras. The area from Loni to Kaasna on left bank of Yamauna was known as Bhatner due to domination of Bhati clan of Gurjaras. 7 villages of Bhati Rajputs are also found along with this group in Gautam Budh Nagar district.

17. Nangdi Khap of Gurjaras  of 24 villages in Gautam Budh Nagar.

18. Rajput Khap of 24 Villages in Dhaulana area of Ghaziabad.

19. Dedha Khap (Chaubisi) of Gurjaras of 24 villages in East Delhi.

20. Dhuli khap (Barah) of 12 villages in Saharanpur district.


21. Kapasiya khap (Barah) of 12 villages in Bulandshahar.


22. Tanwar Khap of 12 villages in Mathura district.


References-


1.  R S Sharma, Indian Feudalism, AD 300-1200,Delhi, 2006, P 88-89
https://books.google.co.in/books?isbn=1403928630

2.  B.N. Puri, History of the Gurjara Pratiharas, Bombay, 1957

3.  V. A. Smith, The Gurjaras of Rajputana and Kanauj, Journal of the Royal Asiatic Society of Great Britain and Ireland, (Jan., 1909), pp.53-75

4. V A Smith, The Oford History of India, IV Edition, Delhi, 1990

5. P C Bagchi, India and Central Asia, Calcutta, 1965

6. Romila Thapar, A History of India, Vol. I., U.K. 1966.

7. R S Tripathi, History of Kannauj